गुरु पूर्णिमा का दिन विशेष तौर पर सभी गुरुओं को समर्पित होता है। वैसे तो भारतीय सभ्यता में किसी विशेष दिन की आवश्यकता नहीं महसूस की जाती क्योंकि हमारे यहाँ माना जाता है कि हर दिन उतना ही विशेष और महत्वपूर्ण होता है जितना कि कोई एक।
लेकिन तेजी से बदल रही दुनिया में हम जिस तरह व्यस्त होते जा रहे हैं उससे एक बात तो स्पष्ट है कि हमें समय नहीं मिल पाता। इस तरह से न ही तो हम खुद के लिए ही पर्याप्त समय निकाल पाते हैं और न ही आने जीवन के महत्वपूर्ण लोगों के लिए ही। अतः उस लकीर के फकीर बने रहने से हमें बचना होगा और ऐसे विशिष्ट दिनों की जरूरत हमें है यह स्वीकार करना होगा।
गुरु हमारी जिंदगी के एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कहते हैं कि एक बच्चे की जिंदगी की सबसे बड़ी गुरु माँ ही होती है। किंतु माँ के अलावा भी जीवन में तमाम गुरु होते हैं जिनसे सीखकर ही बच्चा बड़ा बनता है और अच्छा इंसान बनने के गुर सीख पाता है। ऐसे ही गुरुओं को नमन करने, उनको सम्मान देने का दिन है गुरु पूर्णिमा।