रतन टाटा के PM cares Fund में ट्रस्टी बनाए जाने के बाद सबके मन में एक सवाल आना लाज़मी है कि आखिर एक ट्रस्ट और ट्रस्टी क्या होता है?
क्या ट्रस्ट सिर्फ व्यवसायिक कामो के लिए ही खोल जाता है या व्यक्तिगत ट्रस्टभी होते हैं? ट्रस्टी का एक ट्रस्ट में क्या रोल होता है और ट्रस्टी के ऊपर ट्रस्ट की कितनी और क्या जिम्मेदारी होती है?
ट्रस्टी किसी ट्रस्ट में वह व्यक्ति होता है जो अन्य की संपत्ति का लेखा-जोखा रखता है। यह व्यक्ति ट्रस्ट की संपत्ति को अपने फायदे के लिए नहीं प्रयोग कर सकता है। उसे उस संपत्ति को केवल उन्हीं कार्यों में प्रयोग करने की अनुमति होती है जिनसे ट्रस्ट के नियमों का उल्लंघन न हो और ट्रस्ट के बनाए गए आधार पर ही वह खर्चे हों।
आइए शुरू से देखते हैं कि एक ट्रस्ट क्या होता है और इसके फायदे क्या क्या हैं?
ट्रस्ट क्या होता है?
ट्रस्ट सामान्यतः एक ऐसा माध्यम होता है जिसकी मदद से सामाजिक, व्यक्तिगत या धार्मिक कार्यों में मुख्य रूप से मदद के लिए पैसे या संपत्ति को बटोरा जाता है और फिर उससे सामाजिक या धार्मिक कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है।
सरल शब्दों में कहें तो ट्रस्ट पब्लिक भी हो सकते हैं और प्राइवेट भी। अतः जरूरत के हिसाब से ही इन्हें बनाया जा सकता है।
एक ट्रस्ट का निर्माण भारतीय ट्रस्ट एक्ट 1882 के अंदर रजिस्टर होने के पश्चात ही किया जा सकता है। एक ट्रस्ट एक माध्यम होता है जिसकी सहायता से आप अपनी अचल सम्पत्ति को दूसरे इंसान, ट्रस्टी, को ट्रांसफर कर सकते हैं। एक ट्रस्ट आपकी सम्पत्ति और एसेट्स को टैक्स से बचने में मदद कर सकती है और इसे अपने बच्चों या उत्तराधिकारी तक पहुचाने में मददगार साबित हो सकती है।
ट्रस्ट का शाब्दिक अर्थ जहाँ विश्वास होता है वहीं कानूनी दाँव-पेंच में इसका अर्थ थोड़ा ज्यादा व्यापक होता है। तरसत का नाम सुनते ही के लोगों के मन-मस्तिष्क में सबसे पहले बड़े-बड़े अमीरों के नाम आते होंगे, पर वही आपको तरसत का निर्माण करने के लिए बहुत बड़े राइस और अमीर घराने से होना जररी नहीं है। हाँलांकि बड़े घराने और रईसजादे इस 'ट्रस्ट' का उपयोग अपनी सम्पत्ति का उपयोग अपनी जायदात को एक ओपीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुचाने में प्रयोग करते हैं।
एक ट्रस्ट में आप, सम्पत्ति के मालिक, अपनी सम्पत्ति को किसी ऐसे व्यक्ति को ट्रांसफर करते हैं जो आपके बाद उस सम्पत्ति का मालिक होगा, इस व्यक्तो को बेनेफिशरी कहते है; इनकी संख्या एक से ज्यादा भी हो सकती है। जो व्यक्ति उस सम्पत्ति को आपके बेनेफिशरी तक पहुँचाने में मदद करता है, वह मुख्यतः और साधारणतः वकील ही होता है, इस व्यक्ति को 'ट्रस्टी' कहते हैं (आप चाहे तो किसी और को भी ट्रस्टी बना सकते हैं।)
ट्रस्ट का उपयोग कैसे होता है?
एक ट्रस्ट का पयोग के तरीके से किया जा सकट है कहीं तो इसका उपयोग अपनी सम्पत्ति को अपने अधिकारियों तक पहुचने में किया किया जाता है और कहीं तो इसका उपयोग असमय मृत्यु के बाद सम्पत्ति का सरल, तुरन्त, प्रभावि, प्राइवेट तरीके से बंटवारे के लिए किया जाता है।
- एक ट्रस्ट का उपयोग पढ़ाई के लिए (कॉलेज की पढ़ाई) किया जा सकता है।
- एक ट्रस्ट का उपयोग किसी बूढ़े व्यक्ति या किसी के इलाज के लिए भी किया जा सकता है।
- एक ट्रस्ट को आप किसी विशेष रूप से बाधित बच्चे को अपनी सम्पत्ति बांटने या देने के लिए उपयोग में ला सकते हैं।
- आपका ट्रस्ट आपके पैसे को ट्रस्ट में बचा कर रखता है और तब तक उपयोग में नहीं लाया जा सकता जब तक इसकी तय की गई शर्तें पूरी न हो जाएं।
- इसकी शर्तों को लेकर यह सम्पत्ति बकहने या खर्च होने से रोकने के लिए बेहद ही कारगर उपाय है क्योंकि जबतक इसकी शर्तें पूरी नही होती हैं तब तक ट्रस्ट के पसिन को कोई खर्च या इस्तेमाल नहीं कर सकता है।
ट्रस्ट का फायदा क्या होता है?
ट्रस्ट के कई सारे फायदे हैं जो की मुख्यतः आपके सम्पति और इसके अदन-प्रदान से जुड़े होते हैं;
- ट्रस्ट आपके पैसों और सम्पति के लेन-देन को त्वरित, तेज, सुलझा, प्राइवेट रखने में मदद करता है।
- एक ट्रस्ट बनाने के बाद आपके शर्तों के अनुसार आपकी सम्पत्ति का बंटवारा बिना कोर्ट-कचहरी में जाए आसानी से हो जाता है और यह अपने आप ही ट्रस्ट में वर्णित कानूनी शर्तों के पूरा होते ही अपने आप ही प्रभाव में आ जाता है।
- एक ट्रस्ट में आपके पास यह शक्ति होती है की आपके गैर-मौजूदगी में आपके बाद आपकी सम्पत्ति का मालिकाना हक़ किसका होगा, अन्यथा यह फैसला कोर्ट के जज के हाथ में चला जाता है कि वह किसको कितनी सम्पत्ति का फैसला देते हैं।
- एक ट्रस्ट आपके हानि-नुकसान को न्यूनतम कर सकता है।
- एक ट्रस्ट आपकी सम्पत्ति का निस्तारण प्राइवेट तरीके से तय शर्तों पर कर सकता है।
ट्रस्टी के कार्य क्या होते हैं?
ट्रस्टी का कार्य होता है की वह ट्रस्ट के द्वारा बनाए गए कोष का प्रबन्धन करें और ट्रस्ट के बनाए नियमों का पालन हो इस बात का ध्यान रखें।
ट्रस्टी कि यह जिम्मेदारी होती है की वह इन बातों का ध्यान रखे की ट्रस्ट के बनाए गए उद्द्येश्यों और लक्ष्यों की प्राप्ति हो और ट्रस्ट के फण्ड सिर्फ उन्हीं कार्यों में लगाए जाएँ जिनके लिए तय नियमों और शर्तों के तहत ट्रस्ट का निर्माण हुआ है। ट्रस्टी को किसी भी तरह का पारिश्रमिक नहीं मिलता है।