आज 14 जनवरी को है मकर संक्रांति: जानें विधि, इतिहास और महत्व

Siddharth
3 minute read
0

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश के अवसर पर मनाया जाता है। यह दिन जीवन में नए उत्साह और खुशी का संचार करता है। मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से ब्रह्म बेला में गंगा स्नान का महत्व माना गया है, क्योंकि इसे पापों से मुक्ति पाने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है। गंगा में स्नान करने से शरीर और आत्मा को पवित्रता और शांति का अनुभव होता है। इसके बाद लोग पूजा, जप-तप और दान-पुण्य करके पुण्य अर्जित करते हैं।


मकर संक्रांति के पर्व पर जानें क्या है विधि, महत्व और इतिहास
मकर संक्रांति पर्व के बारे में जानिए सब कुछ


क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व?

इस दिन सूर्य देव की पूजा का भी खास महत्व है, क्योंकि सूर्य की किरणें इस दिन अधिक प्रखर होती हैं और उनका आशीर्वाद से स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व सामाजिक सौहार्द और एकता का प्रतीक भी है, और हमेशा भारतीय समाज में एक विशेष स्थान रखता है।



क्या है मकर संक्रांति का मुहूर्त?

इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी, जब सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसे एक अत्यंत शुभ खगोलीय घटना माना जाता है, जो जीवन में सकारात्मक बदलाव और नई ऊर्जा का प्रतीक है। मकर संक्रांति का महत्व सूर्य के उत्तरायण होने से भी जुड़ा है, जो जीवन में नई शुरुआत और अच्छे समय का संकेत है। इस दिन पुण्य काल सुबह 09:03 बजे से लेकर शाम 05:46 बजे तक रहेगा, और यह समय विशेष रूप से पूजा, स्नान, ध्यान, जप-तप और दान के लिए शुभ माना जाता है।



मकर संक्रांति मनाने की क्या है विधि?

इस दिन की शुरुआत सूर्योदय से पहले उठकर करनी चाहिए। सबसे पहले सूर्य देव को प्रणाम करें और घर की सफाई करें। इसके बाद गंगाजल से घर को शुद्ध करें, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर हो सके। स्नान का विशेष महत्व होता है, इसलिए यदि संभव हो तो गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा न हो सके, तो गंगाजल से स्नान करना भी लाभकारी होता है, जिससे शारीरिक और मानसिक शुद्धता मिलती है। स्नान के बाद, आचमन करें और पीले वस्त्र पहनें, जो शुभता और समृद्धि का प्रतीक होते हैं। फिर सूर्य देव को अर्घ्य दें और तिल को पानी में बहाएं, जो पितरों के प्रति सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक है।


क्या करें और क्या न करें?

पंचो पचार विधि से सूर्य देव की पूजा करें और सूर्य चालीसा का पाठ अवश्य करें, जो आत्मा को शांति और शक्ति प्रदान करता है। पूजा के बाद आरती करें और अंत में अन्न का दान जरूर करें, क्योंकि मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान, तिल-गुड़ के लड्डू बांटना और जरूरतमंदों को अन्न दान जैसी परंपराओं में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। इस दौरान की गई पूजा और दान से सूर्य देव की विशेष कृपा मिलती है। लोग इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान भी कर सकते हैं, जिससे पितृ कृपा मिलती है।


(यह जानकारी केवल ज्ञान के लिए है, किसी भी तरीके का फैसला लेने से पूर्व उचित रिसर्च जरूर करें)



एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)