चीन और भारत के बारे में जब चर्चा होती है, तो चीन के विकास और अच्छे शासन - प्रशासन की बात होती है। लेकिन कोई ये जानना चाहता ही नहीं कि चीन जैसा बनने के लिए हमें अगले 40 वर्षों तक क्या करना पड़ेगा! तो आइए आज इसी मुद्दे पर जानते हैं को अगले 40 वर्षों में हम ऐसा क्या कर जाएं कि चीन जैसा बन जाएं या कम से कम एक साफ सुथरा और विकसित देश बन जाएं।
चीन जैसा भारत कैसे बन पाएगा? वे सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कदम क्या होंगे?
चीन ने 1980 के दशक से लेकर आज तक गरीब, कृषि प्रधान देश से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और विनिर्माण महाशक्ति बनने तक का सफर तय किया है। अगर भारत 2065 तक चीन जैसी तरक्की करना चाहता है, तो उसे चीन की रणनीतिक सफलताओं से सीखना होगा, साथ ही उसकी गलतियों (कर्ज़ का संकट, अत्यधिक नियंत्रण, जनसांख्यिकीय गिरावट) से बचना होगा।
चीन ने 1980 के दशक से अब तक का जो आर्थिक और सामाजिक विकास का सफर तय किया है, वह आधुनिक विश्व के सबसे उल्लेखनीय परिवर्तनों में से एक माना जाता है। उस समय चीन एक गरीब, पिछड़ा और मुख्यतः कृषि पर आधारित देश था, जहाँ जनसंख्या तो विशाल थी, लेकिन संसाधनों और औद्योगिक आधार की भारी कमी थी। किंतु सरकार द्वारा शुरू किए गए सुधारों और खुलेपन की नीति (Reform and Opening-up Policy) के तहत चीन ने धीरे-धीरे अपने आर्थिक ढांचे को बदला। उन्होंने विशेष आर्थिक क्षेत्रों (Special Economic Zones) की स्थापना की, विदेशी निवेश को आकर्षित किया, और श्रमबल को उत्पादन और निर्यात-केन्द्रित विनिर्माण क्षेत्रों में लगाया। इन प्रयासों ने चीन को एक दशक दर दशक तेज़ी से विकास की राह पर डाल दिया।
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40 वर्षों में भारत कैसे बन पाएगा चीन जैसा? क्या करना होगा भारत के नेताओं को? |
आज चीन न केवल दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, बल्कि एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र, तकनीकी नवाचार का ध्रुव और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में निर्णायक शक्ति बन चुका है।
यदि भारत 2065 तक इसी प्रकार की प्रगति करना चाहता है, तो उसे चीन के अनुभव से गहराई से सीख लेनी होगी। भारत को अपनी जनसंख्या-संख्या को एक शक्ति के रूप में देखते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास पर प्राथमिकता देनी होगी। साथ ही, उसे विनिर्माण, अवसंरचना, तकनीकी नवाचार और वैश्विक व्यापार में प्रतिस्पर्धी बनने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना होगा।
लेकिन केवल चीन की सफलताओं को अपनाना ही पर्याप्त नहीं होगा — भारत को उसकी गलतियों से भी सबक लेना होगा। चीन में अत्यधिक सरकारी नियंत्रण ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता, निजी क्षेत्र की रचनात्मकता और पारदर्शिता को बाधित किया। इसके अलावा, अत्यधिक कर्ज़ पर आधारित विकास मॉडल ने कई क्षेत्रों को वित्तीय संकट की ओर धकेल दिया, और 'एक बच्चा नीति' जैसे जनसंख्या नियंत्रण उपायों ने दीर्घकालिक जनसांख्यिकीय असंतुलन पैदा कर दिया है।
अतः भारत को एक संतुलित, लोकतांत्रिक, समावेशी और दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाते हुए विकास की राह पर आगे बढ़ना होगा, जिसमें वह चीन की तरह आर्थिक महाशक्ति तो बने, लेकिन अपनी सामाजिक विविधता, जनतांत्रिक मूल्यों और मानव संसाधन को भी पूरी तरह संरक्षित रखे।
यहाँ 10-चरणीय रोडमैप दिया गया है, जिससे भारत आर्थिक, सैन्य और भू-राजनीतिक रूप से चीन जैसा बन सकता है—बिना अपनी लोकतांत्रिक पहचान खोए।
1. विनिर्माण क्षेत्र को चीन की तरह विशाल पैमाने पर बढ़ावा दें
चीन ने क्या किया?
- "दुनिया की फैक्ट्री" बन गया (इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा, स्टील)।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) बनाकर विदेशी निवेश आकर्षित किया।
भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
भारत अगर अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती देना चाहता है, तो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देना बहुत ज़रूरी है। फिलहाल, भारत की GDP में मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा करीब 14% है, जबकि चीन में यह हिस्सा लगभग 28% है। भारत का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में यह हिस्सा 25% तक पहुंचाया जाए।
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को कुछ अहम कदम उठाने होंगे:
1. PLI योजनाओं को बढ़ावा देना
सरकार को चाहिए कि वह इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, ऑटोमोबाइल जैसे अहम क्षेत्रों में प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीमों को और मज़बूत करे, ताकि कंपनियाँ ज्यादा उत्पादन करें और निवेश बढ़े।
2. 50 से ज्यादा औद्योगिक क्लस्टर बनाना
गुजरात, तमिलनाडु और ओडिशा जैसे राज्यों में नए इंडस्ट्रियल क्लस्टर बनाए जा सकते हैं, जहाँ फैक्ट्रियाँ, सप्लायर और सर्विस प्रोवाइडर एक ही जगह पर हों। इससे उद्योगों को काम करने में आसानी होगी और लागत भी कम आएगी।
3. श्रम कानूनों में सुधार
भारत को नौकरी से जुड़े नियमों को लचीला बनाना होगा, ताकि कंपनियाँ आसानी से लोगों को काम पर रख सकें और जरूरत पड़ने पर बदलाव कर सकें। वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देश इसी वजह से विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं।- श्रम सुधार: लचीली नौकरी नीतियाँ (वियतनाम/बांग्लादेश से प्रतिस्पर्धा के लिए)।
4. सस्ती बिजली और बेहतर लॉजिस्टिक्स
अगर भारत को चीन के शेनझेन जैसे बड़े मैन्युफैक्चरिंग हब से टक्कर लेनी है, तो उसे सस्ती और स्थिर बिजली, बेहतर सड़कें, रेल नेटवर्क और बंदरगाहों जैसी लॉजिस्टिक सुविधाएँ देनी होंगी।
लक्ष्य: विनिर्माण का GDP में 25% योगदान (अभी ~14%, चीन ~28%)।
2. बुनियादी ढाँचा चीन जैसा मजबूत बनाना जरूरी
अगर भारत को मैन्युफैक्चरिंग के मामले में चीन से मुकाबला करना है, तो हमें अपना इंफ्रास्ट्रक्चर यानी बुनियादी ढाँचा भी उतना ही मजबूत बनाना होगा।
चीन ने क्या किया?
भारत को क्या करना चाहिए?
चीन ने पिछले कुछ दशकों में बड़े स्तर पर निवेश करके अपने देश को एक मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस बना दिया है। कुछ प्रमुख बातें:
40,000 किलोमीटर से ज्यादा हाई-स्पीड ट्रेन नेटवर्क तैयार किया, जिससे सामान और लोग दोनों तेजी से एक जगह से दूसरी जगह पहुँचते हैं।
दुनिया के सबसे आधुनिक बंदरगाह (जैसे शंघाई और शेनझेन) बनाए, जहाँ से माल बहुत तेजी से एक्सपोर्ट होता है।
स्मार्ट और प्लान्ड शहरों का निर्माण किया, जहाँ उद्योग, कामगारों की हाउसिंग और ट्रांसपोर्ट सिस्टम सबकुछ पास-पास है।
भारत को भी चाहिए कि वह:
तेज़ ट्रेनों और फ्रेट कॉरिडोर में निवेश करे
स्मार्ट इंडस्ट्रियल टाउन बनाए, जहाँ काम और रहना दोनों सुविधाजनक हो
बंदरगाहों, हवाई अड्डों और सड़क नेटवर्क को आधुनिक बनाए, ताकि माल ढुलाई सस्ती और तेज़ हो
भारत को क्या करना चाहिए?
- बुनियादी ढाँचे पर खर्च तीन गुना करें (अभी ~3% GDP, चीन ~8%)।
- दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (DMIC) पूरा करें।
- बुलेट ट्रेन नेटवर्क (मुंबई-अहमदाबाद के बाद और रूट्स)।
- 24/7 बिजली, पानी और डिजिटल शासन वाले स्मार्ट शहर।
लक्ष्य: लॉजिस्टिक्स में विश्व स्तर (भारत की रैंक: 38वीं, चीन: 6वीं)।
3. निर्यात महाशक्ति बनें (चीन की तरह)
चीन ने क्या किया?
- $3.7 ट्रिलियन निर्यात (2023)।
- सब्सिडी देकर वैश्विक बाज़ारों में कब्ज़ा किया।
भारत को क्या करना चाहिए?
- "मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड" (चीन ने 2001 में WTO में ऐसा किया)।
- यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका के साथ FTAs।
- डॉलर-रुपये में व्यापार (चीन ने RMB को ऐसे ही बढ़ाया)।
- इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, ऑटो निर्यात बढ़ाएँ (2040 तक $2T निर्यात)।
लक्ष्य: निर्यात में दुनिया के टॉप-3 देशों में शामिल होना (अभी 17वें स्थान पर)।
4. तेजी से शहरीकरण (लेकिन स्मार्ट तरीके से)
चीन ने क्या किया?
- 26% (1990) से 65% (2023) शहरीकरण।
- शंघाई, शेनझेन जैसे मेगा सिटी बनाए।
भारत को क्या करना चाहिए?
- 10+ नए प्लांड शहर बनाएँ (चीन ने "घोस्ट सिटीज़" बनाईं, बाद में भरीं)।
- नगर प्रशासन सुधारें (भ्रष्टाचार कम करें, फंडिंग बढ़ाएँ)।
- मजदूरों के लिए सस्ते आवास (चीन की हुकौ प्रणाली जैसा)।
लक्ष्य: 2060 तक 60% शहरीकरण (अभी 36%)।
5. ग्रीन एनर्जी और EVs में चीन को टक्कर दें
चीन ने क्या किया?
- दुनिया की सबसे बड़ी सोलर पैनल और EV निर्माता (BYD, CATL)।
भारत को क्या करना चाहिए?
- 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा (2030 तक)।
- ग्लोबल EV हब बनें (टेस्ला, टाटा, महिंद्रा, ओला)।
- लिथियम जैसे खनिजों के लिए अफ्रीका/दक्षिण अमेरिका से डील।
लक्ष्य: 2040 तक सोलर में #1 और EV में #3।
6. R&D और टेक में भारी निवेश (चीन जैसा AI, 5G, चिप्स)
चीन ने क्या किया?
- कॉपीकैट से इनोवेटर बना (हुआवेई, टिकटॉक, AI)।
भारत को क्या करना चाहिए?
- R&D खर्च 5x बढ़ाएँ (अभी 0.7% GDP, चीन 2.4%)।
- सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता (चीन की SMIC जैसा)।
- AI, क्वांटम कंप्यूटिंग, स्पेस टेक (ISRO → "भारतीय SpaceX")।
लक्ष्य: 2050 तक पेटेंट और टेक यूनिकॉर्न में टॉप-3।
7. सैन्य और भू-राजनीतिक ताकत बढ़ाएँ (चीन की बेल्ट एंड रोड जैसा)
चीन ने क्या किया?
- अफ्रीका, पाकिस्तान में कर्ज़ जाल।
- दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बनाई।
भारत को क्या करना चाहिए?
- रक्षा निर्यात $5B → $50B (2040 तक)।
- हिंद महासागर में दबदबा (मॉरीशस, सेशेल्स में नौसैनिक अड्डे)।
- अफ्रीका/लैटिन अमेरिका में सॉफ्ट पावर (कर्ज़ जाल नहीं)।
लक्ष्य: अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा सैन्य बजट।
8. चीन की गलतियों से बचें
- कर्ज़ से विकास नहीं (चीन का $8T स्थानीय सरकारी कर्ज़)।
- जनसंख्या गिरावट नहीं (चीन की उम्रदराज आबादी → भारत को जन्म दर ~2.1 रखनी होगी)।
- अत्यधिक सेंसरशिप नहीं (लोकतंत्र और फ्री इंटरनेट बनाए रखें)।
9. नौकरशाही और व्यापार करने में आसानी सुधारें
- रेड टेप कम करें (भारत 126वें स्थान पर, चीन 31वें पर)।
- तेज़ न्याय व्यवस्था (मुकदमे 1 साल में, दशकों में नहीं)।
- टैक्स टेररिज्म खत्म करें (वोडाफोन जैसे मामले नहीं)।
10. लोकतंत्र बनाए रखें (भारत की चीन पर बढ़त)
- चीन का अधिनायकवाद तेज़ विकास लाया, लेकिन झिंजियांग कैंप, हांगकांग दमन भी।
- भारत का लोकतंत्र धीमा हो सकता है, पर लंबे समय में स्थिर है।
- सॉफ्ट पावर का उपयोग (बॉलीवुड, योग, आईटी प्रतिभा)।
- हिंदू-मुस्लिम विभाजन से बचें (चीन का हान वर्चस्व से अशांति)।
- $30T अर्थव्यवस्था (अमेरिका के बाद #2, चीन से आगे)।
- दुनिया की फैक्ट्री + टेक हब।
- मजबूत सेना और वैश्विक प्रभाव।
- शहरी, हरित, और अभी भी लोकतांत्रिक।
क्या भारत यह कर सकता है? हाँ, पर सख्त क्रियान्वयन, कम राजनीति, अधिक नीतियों से।